उस काम को थोड़ा कर के देखें। फिर याद करें कि वैसे काम को एक बार पूरा करने में हमें आखरी बार ज्यादा से ज्यादा कितना समय लगा था। उस काम को तभी लें जब हमारे पास वैसे ही काम को कम से कम दो बार कर सकने जितना समय हो। और पहला मौका मिलते ही उस काम को पूरा निबटाएं।

पर इतना समय क्यों लेकर चलना? केवल इसलिये कि कई नये काम बिना बुलाये ही आ जाते हैं और उनकी मेहमाननवाज़ी हमें हर हाल में करनी ही होती है। ऐसा इसलिये भी कि हमारे बहुत से काम चुपचाप अधूरे पड़े रहते हैं जिनका हमने कभी ख्याल ही नहीं किया। और किसे पता कि वो सुंदर सा दिखने वाला काम जो अभी तो हमसे पूछ कर हमारे पास आ रहा है, वही हमारे पास आने के बाद अपना रूप बदल ले।